Vastu West Direction: पश्चिम दिशा में रखी वस्तुओं से कई सारी बीमारिया हो सकती है, इसलिए इसके उपाय को जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़े और अपने दोस्तों के साथ शेयर करे।
Vastu Tips: पश्चिम दिशा में दोष और उनके फलस्वरूप होने वाले रोग/बीमारिया
—-यदि आपने अपने घर में रसोईघर का निर्माण पश्चिम दिशा में करवाया हैं. तो इससे आपके घर के किसी भी सदस्य को गर्मी, पित्त, फोड़े – फुंसी तथा मस्सों से जुडी हुई परेशानियाँ हो सकती हैं.
—-यदि पश्चिम भाग के चबूतरे नीचे हों, तो परिवार में फेफडे, मुख, छाती और चमडी इत्यादि के रोगों का सामना करना पडता है.
—यदि भवन का पश्चिमी भाग नीचा होगा, तो पुरूष संतान की रोग बीमारी पर व्यर्थ धन का व्यय होता रहेगा.
— यदि घर के पश्चिम तरफ़ दरार हो , पश्चिमाभिमुख मुख्य द्वार क्षतिग्रस्त हो तो घर में रोग और बीमारी का वातावरण रेहता है. आर्थिक स्थिति भी निर्बल रेहती है.
— पश्चिम दिशा में बाथरुम होना शुभ नहि है. पति-पत्नी के बीच कायमी टकराव रेहता है.
—-यदि आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवारों में सीलन या दरार आ गई हैं. इसका प्रभाव भी गृह मुखिया पर पड़ता हैं और उसे गुप्तांग से जुडी हुई बीमारियां हो जाती हैं.
—यदि घर के पश्चिम भाग का जल या वर्षा का जल पश्चिम से बहकर, बाहर जाए तो परिवार के पुरूष सदस्यों को लम्बी बीमारियों का शिकार होना पडेगा.
—-यदि आपके घर में जल निकासी की व्यवस्था पश्चिम दिशा की ओर से हैं तो आपके घर के मुखिया गम्भीर बीमारी से लम्बे समय तक पीड़ित रहते हैं.
—यदि भवन का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर हो, तो अकारण व्यर्थ में धन का अपव्यय होता रहेगा.
—-यदि पश्चिम दिशा की दिवार में दरारें आ जायें, तो गृहस्वामी के गुप्ताँग में अवश्य कोई बीमारी होगी.
—-यदि पश्चिम दिशा में रसोईघर अथवा अन्य किसी प्रकार से अग्नि का स्थान हो, तो पारिवारिक सदस्यों को गर्मी, पित्त और फोडे-फिन्सी, मस्से इत्यादि की शिकायत रहेगी.
— पश्चिम भाग का कक्ष ब्रह्मस्थान से नीचा हो तो बदनामी/अपशय मिलता है. और बारंबार आर्थिक नुकशान होने के पसंग बनते रेहते है.
—- पश्चिम भाग में पानी के निकास की व्यवस्था की हो तो भवन के स्वामी को कोइ लंबी बीमारी या रोग रेहता है.
बचाव के उपाय
—- ऎसी स्थिति में पश्चिमी दिवार पर ‘वरूण यन्त्र’ स्थापित करें.
—-परिवार का मुखिया न्यूनतम 11 शनिवार लगातार उपवास रखें और गरीबों में काले चने वितरित करे.
—पश्चिम की दिवार को थोडा ऊँचा रखें और इस दिशा में ढाल न रखें.
—- इस दिशा के बुरे प्रभावों से बचने के लिए इस दिशा की दीवार को थोडा ऊंचा करवा दें या घर के बाहर इसी दिशा में अशोक के पेड़ लगायें.
—- भवन के स्वामी को हर शनिवार काले उडद और सरसो के तेल का दान करना चाहिये.
—- जन्मकुंडली का सप्तम भाव कालपुरुष के पश्चिम भाग का सूचन करता है. जिससे शरीर के पेट, और गुप्तांग पर उसका अमल होता है. जिस का कारक शनि है. अत: पश्चिम भाग के दोष उस अवयव को निर्बल करते है. शनिवार का व्रत करने से इस दोष का निवारण हो सकता है. हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करे.